"यदि
बाबा ना होते" के लेखक, बीसवीं सदीके महान बौद्ध कर्मशील भदंत आनद कौशल्यायन
जन्म जयंती 1905
दलितों
की ओर से बोलते हुए मुझे थोडा सा भी संकोच नहीं है कि सार्वभौम और आजाद हिंद में
वे जीवन विचारधारा और सामाजिक व्यवस्था के रुपमें ब्राह्मणवाद के संपूर्ण विनाशकी
अपेक्षा रखते है।
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