रोयल कमिशन समक्ष भारतीय चलन के बारे बाबासाहब
की प्रस्तृति 1925
१६ दिसंबर 2000 महार मांग बंधुआ मजदुरों की परिषद में
महार वतन पर सरकारी कर का विरोध 1939
हिन्दु समाज टीक रहा है और अन्य समाज मृत:प्राय
हो चुके है या फिर अदृश्य हो गये है, यह तनीक भी सराहनीय नहीं है। अगर यह समाज जी
रहा है तो यह उसकी ज्ञातिप्रथा के कारण नहीं बल्कि इसलिये कि हिन्दुओंको जीतनेवाले
विजेताओंने उनकी सामूहिक हत्या करना उचित नहीं समजा। सिर्फ जीने में कोई गौरव नहीं
है महत्वपूर्ण है जीने का स्तर।
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