Friday, December 30, 2011

२१ दिसम्बर : गांधीवाद




पूना जिल्ला कानून पुस्तकालय समक्ष संसदीय लोकशाही पर बाबासाहब का वक्तव्य 1952


गांधीवाद एक विरोधाभास है। यह विदेशी शासनसे मुक्त यानि देश की प्रवर्तमान राजकीय रचनाको नाश करनेका दावा करता है। दूसरी तरफ यह एक वर्गके दूसरे वर्ग पर आनुवंशिक वर्चस्वको यानि शाश्वत वर्चस्वको बनाये रखने का प्रयत्न करता है। इस विडम्बनाके बारे में क्या स्पष्टता है?

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