मालिकों और कामगारोंके बीच, धनिक और गरीब के बीच, जमीनदारों
और काश्तकारों के बीच, मालिक और नौकर के
बीच आर्थिक संघर्ष का हल अत्यंत सरल है। मालिक स्वंयकी संपत्ति से अपने आपको वंचित
ना रखें । उन्हें तो इतना ही करना चाहिये
कि गरीबोंके ट्रस्टीके रुप में अपने आप को घोषित करें । अलबत्ता यह ट्रस्ट
स्वैच्छिक होगा और आध्यात्मिक कर्तव्य निभाता होगा।
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