दलितोंकी जमीन छीनती हैदराबाद सरकार, 1700 दलित गिरफ्तार 1953
मेरी
जांच और मेरे अनुभवके आधार पर मुझे मालूम हुआ है कि शिष्यवृत्तियां देनेकी पद्धति
सचमुच सार्वजनिक पूंजीका दुर्व्यय है। दलित वर्गके अभिभावक इतने अधिक गरीब और अज्ञानी हैं कि वे समझ नहीं पाते कि सरकार द्वारा दी जानेवाली मदद
वास्तवमें बच्चोंकी शिक्षाके लिये मदद है। माता-पिता शिष्यवृतिको उनके खर्चो को
निपटाने के लिये दी गई पारिवारिक मददके रुप में उसे देखते है।
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