बेलगाम म्युनिसिपालिटी द्वारा सत्कार 1939
गरीबी
किसी दूसरे के लिये नहीं परन्तु शूद्रोंके लिये अच्छी है, ऐसा उपदेश देना,
झाडुवाला का काम किसी दूसरे के लिये नहीं परन्तु अस्पृश्यो के लिये अच्छा है ऐसा
उपदेश देना और इस त्रासदायक फ़र्ज को जीवनका स्वैच्छिक हेतु मनवाकर उसका स्वीकार
करवाना और ऐसा करनेमें उनकी निष्फलता को याचना करना, यह सब यह लाचार वर्ग का अपमान
नहीं है? उनका क्रूर मज़ाक नहीं
है? और ये सब निर्भीक और स्थिर बुद्धि से
दूसरा कोई नहीं परन्तु श्री गांधी ही कर सकते है।
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