सवर्णो ने चवदार तालाब का शुद्धिकरण किया,
सरकार ने तालाब का पानी पीने की दलितो को मना फ़रमाई, बाबासाहब ने पुनः क्रांति की
रणभेरी बजायी।
शुद्र अगर संपत्ति रखते तो बदलेमें हिन्दुओंका
पवित्र कानून उन्हें सजा देता था। गरीबी लादनेवाला यह एक ऐसा कानून जिसकी मिसाल
दुनियामें कहीं नहीं मिलेगी। गांधीवादने क्या किया है? उसने वह पाबन्दी हटानेके
बजाय संपत्तिका त्याग करने की शुद्रकी नैतिक हिंमतको आशीर्वाद दिया। श्री गांधीके खुद के शब्द उद्धरण
के योग्य है। वे कहते है, "अपने धार्मिक कर्तव्यके रुप में जो शुद्र सिर्फ
सेवा करते है और जिनके पास कभी निजी संपत्ति नहीं होगी और जिसे सचमुच कुछ भी संपत्ति रखने की
आकांक्षा तक नहीं है ऐसे शुद्र हजारों प्रणिपात के योग्य है। स्वंय देवता भी उनके उपर पुष्पवर्षा करेंगे।
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