Thursday, December 29, 2011

२५ सितम्बर : कामगार वर्ग



चीरनेर केसमें कोंग्रेसी कार्यकर्ताओंका केस बाबासाहब लडे 1930
मुंबईमें सवर्ण हिन्दु नेताओंकी सभामें अस्पृश्यता नाबूदीके लिये संकल्प 1932


नौकरी करारका भंग यह कोई अपराध नहीं है. यह सिर्फ एक दीवानी कृत्य है. भारतीय विधान परिषदने नौकरी करारके भंगको अपराध नहीं माना है, क्योंकि नौकरी करनेके लिये बाध्य करना यानि उसे गुलाम बनाना (1938)

No comments:

Post a Comment