अगर
युद्धके पीछे व्यय की गई पूंजी जनकल्याणमें लगाई गई होती, तो कितने बेघर
लोगोंके लिये अच्छे-खासे घर बन सकते थे, कितने नग्न लोगोंको पर्याप्त कपडा दिया जा
सकता था, कितने भूखे स्त्री-पुरुषोको संपूर्ण पोषण मिल सकता था, कितने बीमार
इंसानोको स्वास्थ्य प्रदान किया जा सकता था, कामदार वर्गको उसका जवाब राजकीय नेतासे पूछना चाहिये।
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