Friday, December 30, 2011

२९ नवम्बर : प्रांतिक विधान परिषदमें प्रवचन



गुरुजी गोविंद टी. परमार के अध्यक्षपद में साबरमती तट पर फेडरेशन परिषद 1945


ऐसा कहा जाता है कि हमारे लोग आध्यात्मवादी है, जब कि पश्चिमवासी भौतिकवादी है। अब तो इस रट को सुन-सुन कर कान पक गये है। हमारे लोग किस तरह से आध्यात्मवादी है? क्या हमारे लोगोंने दुनिया का त्याग किया है और साधु बन गये है? " ये सब माया है", "सांसारिक  जीवनके प्रति आसक्ति छोड देनी चाहिये" ऐसा बारबार कहने से लोग क्या आध्यात्मवादी हो जायेंगे?

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