Thursday, December 29, 2011

२० सितम्बर : कामगार वर्ग




यरवडा जेलमें गांधीजीके आमरण अनशनका प्रारंभ 1932


जहां उघोगोका मुनाफा राज्यके जाता हो, वहां प्रजाको अल्पकालीन समयके लिये, वेतन  और अन्य जीवनधोरणको घटानेके लिये नहीं कहा  जा सकता, जिससे सार्वजनिक क्षेत्रके उधोग स्थिर हो सके। अंतमें तो उधोग राज्यका ही है और राज्यकी समृद्धिमें हिस्सेदारी मिल सकती है ऐसा जानते हुए मजदूरको ऐसा बलिदान देनेमें कोई आपति नहीं हो सकती।

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