दूसरी गोलमेजी परिषदसे वापस आते गांधीजीके
खिलाफ मुंबई बंदरगाह पर 8000 अस्पृश्य स्त्री- पुरुषोने काले झण्डे दिखाये 1931
‘पाकिस्तान अथवा भारतका विभाजन’ ग्रंथ 1940
गांधीवादके अनुसार अस्पृश्य कानून पढ सकते है, डाक्टरी
सीख सकते है, इजनेरी अथवा उन्हें जो भी पसंद हो ऐसी विद्याकी शिक्षा ले सकते हैं । यह अच्छा है, परन्तु अपने ज्ञान और
विधा का उपयोग करने के लिये क्या अस्पृश्य स्वतंत्र होंगे?
No comments:
Post a Comment