हिन्दु दत्तक ग्रहण और निर्वाह विधेयक पारीत
1956
गांधीवाद का सामाजिक आदर्श या तो ज्ञाति है या
फिर वर्ण है। दोनोंमेंसे कौन सा उसका आदर्श है यह कहना मुश्किल है, परन्तु इसमें
कोई संशय नहीं है कि गांधीवाद का सामाजिक आदर्श प्रजातन्त्र कतई नहीं है। चाहे कोई
जाति या वर्गकी तुलना करे, परन्तु दोनों मूलभूत रुप से प्रजातन्त्रके विरोधी है।
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