अस्पृश्योंने आजादीकी लडाई में भाग नहीं लिया
है, इस कारण से नहीं कि वह ब्रिटीश शाहीवादके प्यादे है, किन्तु उन्हें डर है कि भारतकी आजादी हिन्दुओंके वर्चस्वको प्रस्थापित
करेगी और वह उनके जीवन, स्वतंत्रता और सुखप्राप्तिके द्वार को निश्चितरुपसे और हमेशाके
लिये बंद कर देगी और उन्हे लकड़हारे तथा भीश्ती बना देगी।
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