गुजरात
में आरक्षित बैठकोंको नाबूद करनेके लिये राइटिस्ट अंतिमवादी आंदोलनकारीओंका सरकारको
आवेदन पत्र, हिन्दु फासीवादकी प्रयोगशालाका भूमिपूजन 1981
गांधीवादने
जो कुछ भी किया है, वह हिन्दु धर्म और उसके सिद्धांतोको तात्विक रुपमें सही ठहराने
के लिए किया है। हिन्दु धर्मको ढंक नहीं सकते, इस अर्थमें कि यह सिर्फ नियमों के
एक ढांचा
जैसा
है, जिसके चेहरे पर एक घातकी और जाहिल व्यवस्था की छाप उभरी है। गांधीवाद उसे एक
ऐसा तत्वचिंतन देता है, जो उसकी सतहको नरम बनाता है और उसे सौजन्य और आदर देता है
और उसे इस बदलता है। इतना ही नहीं परन्तु यह आकर्षक लगे इस तरह इसे सजाता भी है
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