दलित शरणार्थीओ की भयानक परिस्थिति से नेहरु को
वाकिफ किया 1947
श्री गांधी जानते है कि उनके ही गुजरात प्रांत
में किसी जाति ने लश्करी इकाई खड़ी नहीं
किया है। यह सिर्फ विश्वयुद्धमें ही नहीं, परन्तु पिछले विश्वयुद्ध में जब श्री
गांधीने ब्रिटीश शाहीवादके भरती एजेन्ट के रुपमें पूरे गुजरातका प्रवास किया था तब भी नहीं हुआ था। हकीकतमें तो सुरक्षाके
लिये लोगोंका सेनाके रूप में जमावड़ा ज्ञातिप्रथाके तहत असंभव है, क्योंकि सेनाके जमावड़ेके लिये ज्ञातिप्रथा के अंतर्निहित व्यावसायिक
सिद्धांतकी सामान्य नाबूदी अनिवार्य है।
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