अगर
कामदार वर्गको संसदीय लोकशाहीमें ही जीना है, तो उन्हें इसको अपने फायदोंमें परिवर्तित करनेके सबसे संभवित
उपायोंको ढूँढना ही होगा। सबसे पहले तो भारतके मजदूर वर्गका अंतिम उदेश्य सिर्फ
ट्रेड युनियनकी स्थापना ही होना नहीं चाहिये। उन्हे मजदूर वर्गको शासनकी बागडोर सौंपनेंका
उदेश्य जाहिर करना चाहिये।
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