Friday, December 30, 2011

१ दिसम्बर : गांधीवाद



पंढरपुर में सोलापुर जिल्ला दलित परिषद 1937
मुंबई में आठवीं राष्ट्रीय सामाजिक परिषद में सयाजीराव का उदघाटकीय भाषण 1904
31 सोमवार
गुजरात में आरक्षित बैठकों को नाबूद करने के लिये राइटिस्ट अंतिमवादी आंदोलनकारीओं का सरकार को आवेदन पत्र, हिन्दु फासीवाद की प्रयोगशाला का भूमिपूजन 1981

गांधीवाद ने जो कुछ भी किया है, वह हिन्दु धर्म और उसके सिद्धांतो को तात्विक रुप में सही ठगराने के लिए किया है। हिन्दु धर्म को ढंक नहीं सकते, इस अर्थ में कि यह सिर्फ नियमों के एक ढांचे  जैसा है, जिसके चेहरे पर एक घातकी और जाहिल व्यवस्थाकी छाप उभरी है। गांधीवाद उसे एक ऐसा तत्वचिंतन देता है, जो उसकी सतह को नरम बनाता है और उसे सौजन्य और आदर देता है और उसे इस बदलता है। इतना ही नहीं परन्तु यह आकर्षक लगे इस तरह इसे सजाता भी है

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