पी.
के. अत्रे निर्मित फिल्म "महात्मा फुले" का उद्घाटन 1954
इतिहास
बताता है कि ब्राह्मणोंके पास साथीके रुप में हमेशा अन्य वर्ग ही रहे हैं, उन्हें
वे शासकवर्गका दर्जा एक ही शर्त पर देने को तैयार थे कि वे सब उनके नीचे सहकारसे काम करें। प्राचीन
और मध्ययुगमें उन्होंने क्षत्रिय लोगोंके साथ मैत्री की थी और अब
ब्राह्मणने वैश्य लोगों से हाथ मिलाया है।
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