मुंबई विधान परिषदमें "परम्परागत पद कानून सुधार विधेयक"
पर बाबासाहबने दिया वक्तव्य 1928
"समाज"
शब्दका क्या अर्थ है? संक्षिप्तमें कहें तो जब हम समाजकी बात करते हैं तो हम उसके
चरित्रको समझ सकते हैं। एक उदेश्य रखनेवाला प्रशंसापात्र समुदाय और कल्याणके लिये
इच्छा, सार्वजनिक हितोंके लिये वफादारी और पारस्पारिक सहानुभूति और सहकार – ये है समाज की एकता के गुण।
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