प्रजासताक
दिन 1950
मनृस्मृतिका
संदर्भ बताता है कि ब्राह्मणों, शासक वर्गके सभ्य और अग्रणी घटकोंने, उनकी राजकीय
सत्ता बुद्धि से नहीं - बुद्धि पर किसीका एकाधिकार नहीं है- परन्तु निरंकुश जातिवादसे
प्राप्त की थी। मनुस्मृतिके कानून के अनुसार राजाके धर्मगुरु तथा न्यायधीश यानि
पुरोहितका पद, उच्च अदालतका मुख्य न्यायधीश तथा न्यायमूर्तिका पद और राजा के
मंत्रीओका ओहदा ये सभी स्थान ब्राह्मण के लिये ही आरक्षित थे।
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