पंडित
जवाहरलाल नेहरु ब्राह्मण हैं , परन्तु वे अपने दृष्टिकोणमें बिनकोमवादी और
मान्यताओ में बिनसांप्रदयिक होने की प्रतिष्ठा रखते है। जो व्यक्ति अपने पिताकी
मृत्यु के समय गंगा नदी के किनारे ब्राह्मण पुरोहितके हाथोंसे, रुढिचुस्त हिन्दु
धर्मकी धार्मिक विधियां करवाये उसे बिनसांप्रदायिक नहीं कह सकते। 1931 जब उनके
पिताकी मृत्यु हुई तब पंडित नेहरुने ऐसा किया था।
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