Saturday, December 24, 2011

१६ मार्च : जाति प्रथा



संविधान सभाकी रचनाके लिये केबिनेट मिशनकी सूचना 1946


समांतर प्रवृत्तियां चाहे एक जैसी ही क्यों न हो, मनुष्य को एक समाजमें जोडने के लिये पर्याप्त नहीं है। यह बात इस हकीकतसे सिद्ध होती है कि हिन्दुओमें विविध जातियों द्वारा मनाये जाते त्यौहार एक समान है, मगर विविध जातियों के द्वारा मनाये जाते त्यौहारोंके समांतर उत्सवोंने उन्हे एक सुग्रथित इकाईमें नहीं जोडा।

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