Saturday, December 24, 2011

१५ मार्च : जाति प्रथा


















कांसीराम जन्मदिन 1934
प्रथम महागुजरात दलित परिषद। "राज्यों और लघुमतीओं" ग्रंथ प्रसिद्ध 1941

वैसे हिन्दु समाज कोई अस्तित्व नहीं रखता। वह जातिओका एकमात्र समूह है। हर जाति उसके अस्तित्वके लिये सभान है। किसी भी तरह टिके रहने में ही उसके अस्तित्वका सर्वस्व समाया है। दूसरी जातियाँ  मिलकर भी एक संघकी रचना नहीं कर सकती। जातिको किसी भी तरहका कोई लगाव नहीं होता कि वे दूसरी जातिओसे जुडी है, सिवाय हिन्दु-मुस्लिम दंगो के दौरान।


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