गांधीजीसे प्रथम मुलाकात 1931
संसदीय
प्रजातन्त्र लश्करी शासकोंके देशमें निष्फल रहा है क्योंकि यह अत्यंत धीमी गतिसे चलनेवाला यंत्र
है। यह त्वरित कदमको विलंबित करती है। संसदीय प्रजातन्त्रमें धारासभा, कार्यकारिणीको
मन हो तो कानून पारित करके कार्यकारिणीको स्थागित कर सकता है। और धारासभा ऐसा न
करे तो न्यायतंत्र कानूनको गैरकानूनी घोषित
करके कार्यकारिणीको विलंबित करती है।
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