अहिल्याबाई होलकर स्मृति दिन 1795
मेरे
मन में इस बातको लेकर थोडा सा भी संशय
नहीं है कि संसदीय प्रजातन्त्रको करार की स्वतंत्रताके विचारने बर्बाद कर दिया है।
यह विचारको स्वतंत्रताके नाम पर पवित्र बनाया गया और स्वीकार किया गया। संसदीय प्रजातन्त्रने
आर्थिक असमानताको ध्यानमें लिया नहीं और करार करनेवाले पक्षकार असमान हों तो ऐसे
करारके परिणामको जांच करनेकी कोशिश नहीं की।
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