Saturday, December 24, 2011

७ मार्च : जाति प्रथा

















भावनगर में शाहुजी महाराज के अध्यक्षपदमें आर्य समाज परिषद 1920
मुंबई विधान परिषदमें "न्याय तंत्र की स्वायत्तता" पर बाबासाहबका वक्तव्य 1938


अगर कोई भी समाजमें किसी भी समय सत्ता और प्रभुत्व का स्रोत सामाजिक और धार्मिक हो तो, सामाजिक-धार्मिक सुधारको अनिवार्य गिना चाहिये।

No comments:

Post a Comment