तत्कालीन कांग्रेसी केन्द्रीय प्रधान गढवी के स्वजनोंके दमनके
खिलाफ सांबरडाके दलितोंकी सामूहिक हिजरत और गुजरातके दलित आंदोलनमें किसी भी फोरीन
फंडिंग एजन्सीकी मदद लिए बिना लडे गए चुनींदा संघर्षोमेंसे एक, सांबरडाके सफल संघर्षका पानाचंद परमार साहबके
नेतृत्वमें पालनपुर कचहरीसे प्रारंभ 1989
अस्पृश्योंकी
वास्तविक स्थितिके साथ गुलामोंकी वास्तविक स्थिति की तुलना किस तरह की जाये?
रोममें गुलाम जिस तरह ग्रंथपाल, श्रुत लेखको, लघुलिपि जैसे व्यवसाय में थे उस
प्रकार कितने अस्पृश्य ऐसे व्यवसायमें है? रोम में गुलाम वक्ता, व्याकरणविद्,
फिलसूफ, शिक्षक, डॉक्टर और कलाकार जैसे बौद्धिक व्यवसाय में थे उस तरह कितने
अस्पृश्य इस काम में लगे हुए है?
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