अस्पृश्य
उनकी वर्तमान स्थिति में उसी राजकीय अधिकारोंको
भोगते है, जो मुस्लिम और ख्रिस्ती भोगते हैं अगर वो अपने धर्मको बदले तो भी यह
परिवर्तन राजकीय अधिकारोंको नहीं ला सकता, जो पहले अस्तित्वमें नहीं थे। राजकीय लाभको
धर्मान्तरके साथ कोई सरोकार नहीं है।
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