"जनता"
सामयिक का नाम बदलकर "प्रबुध्द भारत" रखा गया 1956
मानसिक
रुपसे एक धर्मगुरु बेवकूफ हो सकता है, शारीरिक रुपसे धर्मगुरु सीफीलीस या फिर
गोनोरिया जैसे गंदे रोगोंसे पीडित हो सकता है। नैतिक रुपसे बर्बाद हुआ और फिर भी
पवित्र विधियांको कराने के लिये हिन्दु
मंदिर के पवित्र गर्भगृह में प्रवेश करने के लिये और हिन्दु देव की पूजा करने के
लिये लायक गिना जाता है। हिन्दुओं में सब कुछ हो सकता है क्योंकि एक धर्मगुरु के लिये धर्मगुरु की जातिमें जन्म
लेना पर्याप्त है।
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