मुंबई
विधानसभामें अलग कर्णाटक राज्य रचनाके बारेमें वक्तव्य 1938
लोगोंका
कार्य उनके दिमागमें शास्त्रों द्वारा ठुंसी गई मान्यताओंका परिणाम है। और लोग तब
तक अपना आचरण नहीं बदलेंगे, जब तक वे आचरण की बुनियाद के समान शास्त्रोंकी
पवित्रतामें विश्वास करना छोडेंगे नहीं। इस बातका एहसास अस्पृश्यता नाबूदी के लिये
काम करनेवाले महात्मा गांधी जैसे समाज सुधारकोंको होगा ऐसा नहीं लगता।
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