Tuesday, December 27, 2011

३ मई : गांव और पंचायती राज


मुंबई विधान परिषद में मुंबई म्युनिसिपल कानून सुधार पर विधेयक पर वक्तव्य 1938


उत्तर प्रदेशके अधिकतर भागोंमें अस्पृश्योंको वेतनके रुप में दिये जानेवाले अनाजको "गोबरहा" कहते है. बैलोके खुरके दबाव से भूसीसे दानेको अलग करनेके लिये बैलोंको अनाज पर चलाया जाता है। अनाज पर चलते समय बैल घासके साथ अनाज भी खा जाते है। दूसरे दिन उसी अनाज उनके पेटसे गोबरके साथ निकलता है। गोबरको निकालकर, दानेको अलग करके अस्पृश्य मजदूरको वेतनके रुप में दिया जाता है।

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