संविधानमें
विधानसभा, कार्यपालिका और न्यायपालिका से लैस स्वायत प्रशानिक इकाईयों से बने
संवैधानिक पिरामीडकी नींवके रुपमें गांवका स्वीकार होना चाहिये ऐसी दलीलके समर्थनमें संविधान सभाके हिन्दु सभ्योंके उग्र प्रवचनोसे मालूम होगा कि सामाजिक संगठनके
एक आदर्श नमूनेके रुपमें भारतीय गांवोको माननेवाले हिन्दु कितने कट्टरपंथी है।
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