पंडित नेहरुने राज्य के मुख्य प्रधानों पर भेजे पत्रमें कहा,
"मैं किसी भी प्रकारके आरक्षणको नापंसद करता हूँ"। 1961
गुलामोंसे
विपरीत अस्पृश्योंको हिन्दु अपने हितोंको आगे बढाने के लिये और काम खत्म होने पर
भगा देनेके लिये रखते है। और जब रखते हैं तब बोझके तले ही रखते हैं । अस्पृश्य स्वतंत्र सामाजिक
व्यवस्थाके किसी भी लाभको प्राप्त करनेका दावा नहीं कर सकते और उन्हें मुक्त सामाजिक व्यवस्थाके सभी नुकसानोंको सहना
पडता है।
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