Tuesday, December 27, 2011

२६ जून : गुलामी प्रथा



जोतीबा फूले के अनुनायी तथा सत्यशोधक समाज के महान नेता भास्करराव जाधव स्मृति दिन 1950


अस्पृश्यता गुलामीसे बदतर ही नहीं, गुलामीकी तुलनामें अवश्य ही  घातक है। गुलामीमें गुलामके लिये काम ढूंढनेकी जिम्मेदारी मालिककी होती है। मुक्त श्रमव्यवस्थामें मजदूरोंको काम पानेके लिये दूसरे मजदूरोंसे स्पर्धा करनी पडती है। कामके लिये इस छीनाझपटीमें अस्पृश्योंको न्यायी सोदा करनेके मौके कितने?

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