वडोदराकी
संस्कृत पाठशालाको संबोधित करते हुए सयाजीरावने वंशपरंपरागत धर्मगुरुपदका खंडन
किया 1917
(वाईसराय)
के कारोबार में जुडनेकी ओफरको जगजीवनरामने स्वीकार किया ये आश्चर्य की बात है। जब
मैंने
(ब्रिटीश) प्रधानमंत्रीको अनुसूचित जातिओंके कम प्रतिनिधित्वकी बातको लेकर विरोध करता
हुए तार किया, तब कारोबारीमें प्रतिनिधित्व बढाया गया है ऐसे सरकारके दावेका
जगजीवनरामने स्वंय ही समर्थन दिया। कांग्रेस स्वंय प्रतिनिधित्व बढाने के लिये
संमत नहीं थी फिर भी जगजीवनरामने आमंत्रण स्वीकार करके यह दिखा दिया है कि अनुसूचित जातिओंके हकके लिये लडनेके लिये उन
पर कितना भरोसा रखा जा सकता है।
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