हिन्दुओंमें
कोई भी व्यक्ति अस्पृश्योंको आहार, निवास और वस्त्र देनेके लिये बाध्य नहीं है।
अस्पृश्यका आरोग्य किसी की चिंता का विषय नहीं है। हकीक़त में अस्पृश्य की मृत्यु
हो, तो बला टली गई ऐसा कहा जाता है। एक हिन्दु कहावत है, "अंत्यज मरा, छुआछुत
का भय टला"
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