वडोदरा
राज्यमें नौकरी के लिये बाबासाहबका आगमन 1913
बनिया
अपने पैसेको उत्पादनके पीछे नहीं खर्च करता। बिनउत्पादक हेतुके लिये पैसा देकर
ज्यादासे ज्यादा गरीबीका सर्जन करता है। वह सूद पर ही जीता है। और उसके धर्मने कहा
कि ऋणदाता का व्यवसाय मनुने ही उसके लिये तय किया है। उसके इस दावेके समर्थनमें आदेश देनेको
सदैव तत्पर ब्राह्मण न्यायधीशोंकी मदद और आज्ञासे वह व्यापार करता है।
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