राजकोट
राज्यकी राजकीय सुधार समितिमें दलितोका समावेश नहीं होनेसे डॉ. आंबेडकरने ठाकोर
साहेबसे मुलाकात की 1939
अस्पृश्यता
से शर्माना तो दूर, हिन्दु तो उसको बचाने की कोशिश करते है। उनके बचाव की दलील इस
प्रकार है कि, दूसरे देशो की तरह हिन्दुओ ने गुलामी की मान्यता नहीं दी और किसी भी
हालातमें में अस्पृश्यता गुलामी से भी
बदतर है। दूसरा कोई नहीं परन्तु लाला लजपतराय जैसे व्यक्ति इस दलील उनके पुस्तक
"दुःखी भारत" में करते है।
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