ब्राह्मणोंने
बिन-ब्राहमण स्त्रीओंके कौमार्य भंगके अधिकारके लिये दावा करना शुरु कर दिया था।
कालीकटके झामोरी परिवारमें और वैष्णव वल्लभाचार्य संप्रदायमें यह प्रथा प्रचलित
थी..... ईस्ट इंडिया कंपनीने इस नैतिक अधःपतनको रोकने के लिये 1819 में रेग्युलेशन
(1819 का सातवां) पारित किया।
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