सयाजीरावने देवासकी विक्टोरिया हाईस्कूलकी मुलाकात ली 1901
सखावतके
क्षेत्रमें जाते हैं । एक या दो अपवादके अलावा भारतमें सखावत जातिवादी है। अगर कोई
पारसी मरे, तो अपनी मिलकत पारसीओंके लिये छोड जाता है। कोई जैन मरे तो उसका पैसा
जैनोंके लिये छोड जाता है। कोई ब्राह्मण मरे तो उसकी मिलकत ब्राह्मणोंके लिये छोड
जाता है। उस प्रकार दलितों और वंचितोंको राजनीति, उघोग, व्यापार और शिक्षामें कोई
स्थान नहीं है।
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