Tuesday, December 27, 2011

31 मई : गांव और पंचायती राज




मुंबई महार परिषद का संकल्पः हिन्दु धर्म छोडो 1936
सिद्धार्थ महाविधालयमें प्रीतिभोज  1952

जब तक ग्रामजीवन प्रथा अस्पृश्योंको अलग करने की और पहचाननेकी सरल पद्धति देती रहेगी, तब तक अस्पृश्य अस्पृश्यतासे भाग  नहीं सकते। यह ग्रामजीवनकी प्रथा ही अस्पृश्यताको स्थायी बनाती है, इसलिये अब अस्पृश्योकी मांग है कि इस प्रथा को तोड़ना चाहिये और सामाजिक रुपसे अलग अस्पृश्योंको भौगोलिक और प्रादेशिक रुपसे अलग करना चाहिये।


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