इस
सभ्यता को हम दूसरा क्या कह सकते हैं , जिसने लोगों का एक ऐसा समूह बनाया, जिन्हें
जीवन निर्वाहके लिये स्वीकृत मार्गके रुप में गुनाहखोरी अपनाने के लिये सीखाया
गया, दूसरे समूहको सभ्यताके बीच उनकी आदिम जंगलियत की पराकाष्टामें जीने के लिये
छोड दिया है और तीसरा समूह है, जिसके साथ मानव व्यवहारसे अलिप्त इकाईसा बर्ताव
किया जाता है और जिसका स्पर्श किसीको भी अपवित्र बनानेके लिये पर्याप्त है?
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