एम.ए.
(अर्थशास्त्र-समाजशास्त्र) की पदवी 1915
हिन्दुओमें
गुलामी अति प्राचीन समयमें कार्यरत ऐसी कोई पुरानी संस्था मात्र नहीं थी। यह समग्र
भारतीय इतिहासमें पिछले 1843 तक टीकी हुई व्यवस्था थी। और अगर ब्रिटीश सरकारने
1843 में कानूनके द्वारा उसे नाबूद न किया
होता, तो वह आज भी टीकी रही होती।
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