मुंबई विधान परिषद में बाबासाहब का "मुंबई युनिवर्सिटी कानून
सुधार विधेयक" पर वक्तव्य 1927
आंतरभोजन
के लिये किये जाते आग्रहके बारेमें हिन्दु
उनकी जाति प्रथाका बचाव करनेके लिये मजाक उडाते हैं। वे पूछते हैः आंतर भोजनमें क्या है? समाजशास्त्रीके
नजरियेसे प्रश्न देखें तो आंतर भोजनमें सब कुछ है।
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