हिन्दुओंके
आचार पर जातिका असर निंदापात्र है। जातिने लोगोंके जोशको खत्म कर दिया है। जातिने
सार्वजनिक धर्मार्थकी भावनाको खत्म कर दिया है। जातिने सार्वजनिक अभिप्रा को
असंभवित बना दिया है। हिन्दुके लिए लोग यानि उसकी जाति। भारतमें समाजसुधारका मार्ग
स्वर्गके मार्गकी तरह कांटोंसे भरा है।
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