मुंबईमें सयाजीरावके अध्यक्षपदमें अखिल भारतीय अस्पृश्यता निवारण परिषद 1918
हिन्दु
समाज जातियोंका समूह होनेसे और हर एक जाति एक गतिहीन संगठन होनेसे यहाँ धर्म
परिवर्तन करनेवाले व्यक्तिके लिये कोई स्थान नहीं है। इस तरह जातिने हिन्दुओके
विकसित होने में और अन्य धार्मिक समुदायोंको अपने अंदर समाविष्ट करने पर रोक लगाई
है। जब तक जाति का अस्तित्व है, तब तक हिन्दु धर्म मिशनरी धर्म नहीं बन सकता और
"शुद्धि" मुर्खतापुर्ण और निरर्थक बनी रहेगी।
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