मंदिर
प्रवेश विधेयकके विरोधमें निवेदन 1933
मनमाड
में दलित रेलवे कर्मचारीओंकी परिषदमें बाबासाहबने 20,000 लोगों को संबोधित किया
1938
समझदारी
और नैतिकता एक समाज सुधारक के तरकस के दो सबसे शक्तिशाली शस्त्र है। उनसे इन
शस्त्रों को छिन लेने का अर्थ है उन्हें असमर्थ बनाना। जाति और समझदारी एक दूसरे
से विरुद्ध हैं ऐसा सोचने के लिए भी लोग मुक्त नहीं हैं, तब आप किस तरह जातिको तोड
सकोगे? अगर आप व्यवस्था को तोडना चाहते हो, तो आप को समझदारी और नैतिकता का इनकार
करनेवालें वेदों और शास्त्रोंमें बारूद- डाइनेमाइट लगाना होगा। आपको श्रृति और
स्मृतिके धर्मोंका नाश करना होगा।
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