धर्मका
बुनियादी तत्व सामाजिक है इस हकीकतकी उपेक्षा
करना धर्मको अर्थहीन बनानेके बराबर है। आदिम समाजके धर्ममें जीवन की प्रक्रिया
केन्द्रमें थी या फिर उनको असर करनेवाली सभी बातें धर्मका हिस्सा हुयी थीं । आदिमसमाजकी धार्मिक विधियां सिर्फ जन्म,
प्रौढ़ उम्र प्राप्ति, मासिक धर्म की प्राप्ति, विवाह, बीमारी, मृत्यु और युद्ध की
घटनाओं से ही नहीं, बल्कि भोजन के साथ भी संबंधित थी।
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