Monday, December 26, 2011

११ अप्रैल : व्यक्ति विशेष














जोतीबा को महात्मा की पदवी, मुंबई में सम्मान 1888
मुंबईके मेघवाल समाज द्वारा डॉ. आंबेडकर का सार्वजनिक सम्मान 1932


मैं जोर डालकर कहता हूँ कि अगर मैं श्री महात्मा गांधी और झिन्हाको धिक्कारता हूँ और मैं उन्हे धिक्कारता नहीं हूँ, नापसंद करता हूँ, इसलिये कि मैं भारत को विशेषरुप से चाहता हूँ। यह एक देशभक्तकी सच्ची श्रद्धा है। मुझे आशा है कि एक दिन मेरे देशवासी यह बात जरुर समझेंगे कि मनुष्योंकी अपेक्षा देश महान होता है। और श्री गांधी या फिर श्री झिन्हाकी भक्ति और भारतकी सेवा दोनों भिन्न और बिल्कुल अलग बातें है और वे एक-दूसरेके विरोधी भी हो सकतीं  हैं ।

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